दास्तां - ए - नादां
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दर्द आँखों से बहाया न करो
कीमती खूँ यूँ गवाया न करो ……… !!
क्यों जमाने से खफ़ा हो फिरना
बेसबब खुद को लुटाया न करो …… !!
बेकसी ले के करो ये न सफ़र
जिन्दगी तुम यूँ मिटाया न करो …. !!
मुस्कुराने की अदा यूँ रखो
लाख हों गम पर दिखाया न करो …. !!
ये पराया है जहाँ सुन “नादाँ”
जान लो पर, ये सुनाया न करो …….. !!
उत्पल कान्त मिश्र “नादाँ”
मुंबई
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