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अब्र ढल जाए है हरदम , यादों आया ना करो …. !!

दास्तां - ए - नादां
दास्तां - ए - नादां
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(चित्र गूगल से साभार )

उम्र हो जायेगी दुस्तर वक़्त आने से पहले
शाख ढल जायेगी फूलों के सोने से पहले ………… !!

    बंद हो जाये गर आंखें तो जानो बस ये तुम
    कि चुप हो गयी हैं ये अब रोने से पहले ……………….. !!

अब्र ढल जाए है हरदम , यादों आया ना करो
कर लूं प्यार मैं तुझको फिर खोने से पहले ………… !!

    क़त्ल मैने किया अबके, वो था अपना कब से
    जश्न इक और हो यारों , खूँ धोने से पहले …………….. !!

ये ख़म – ओ – गुमाँ “नादाँ” लगते अच्छे कितनें
सब को यूँ लगा तेरे यां होने से पहले ………………….. !!

    उत्पल कान्त मिश्र “नादाँ”

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